The Definitive Guide to सफेद मूसली के लाभ



मूसली खाने से इम्यून सिस्टम उत्तेजित होता है। इसे लेने से बार बार होने वाले इन्फेक्शन में कमी आती है। मूसली में कार्बोहाइड्रेट, एल्कालोइड, सैपोनिन और प्रोटीन आदि होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार के लिए प्राकृतिक दवा है।

शोध के अनुसार सफेद मूसली वीर्य का उत्पादन बढ़ाती है और वीर्य की गुणवत्ता में सुधार लाती है। ऐसा माना जाता है कि इसके नियमित सेवन से नपुंसकता के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। कौंच के बीज के साथ सफेद मूसली का सेवन नपुंसकता के इलाज में काफी उपयोगी माना जाता है।

सफेद मुसली के अंदर एंटीऑक्सीडेंट, एंटीहाइपरग्लिसमिक और एंटीडायबिटिक गुण पाए जाते हैं। यह सभी गुण मधुमेंह के मरीज के इलाज के लिए फायदेमंद होते हैं। यहां तक कि सफेद मूसली मधुमेह के दौरान मरीजों को दी जाने वाली एलोपैथिक दवा गिलबेक्लामाइड से भी ज्यादा फायदेमंद है। लेकिन जो मरीज मधुमेह की समस्या से मोटे हो जाते हैं, उन पर इसका असर कम हो सकता है।

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मुसली का कोई गंभीर साइड-इफेक्ट नहीं है।

सफ़ेद मूसली के औषधीय गुण -[संपादित करें]

इसके शुक्राणुजनित गुणों और टेस्टोस्टेरोन के स्तर में वृद्धि के कारण रक्त परिसंचरण में सुधार के कारण समग्र यौन स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिलती हैं जैसे कि निम्नलिखित।

आधा-आधा चम्मच मूसली पाक दिन में दो बार ले सकते है।

चलिए, अब कुछ सबसे अच्छे सफेद मूसली ब्रांड्स के बारे में जानते हैं।

जोड़ों के दर्द के लिए सेफ्ड मुसली पाउडर के लाभ भी ध्यान देने योग्य हैंं। इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण हो सकते हैंं ताकि यह ट्रिगर्स पर कार्य कर सके और दर्द, सूजन और लालिमा को रोक सके। इसलिए, यह जोड़ों के दर्द और संधिशोथ जैसी स्थितियों में अत्यधिक उपयोगी हो सकता हैं।

भारत में सदियों से आयुर्वेद पद्धति की मदद से इलाज का चलन रहा है। आज के समय में लोग अंग्रेजी दवाइयों के सहारे इलाज तो करते हैं। लेकिन फिर भी आयुर्वेद पद्धति से इलाज की परंपरा भारतवर्ष में आज भी बरकरार है। आयुर्वेदिक औषधियों में ऐसी कई सारी औषधियां है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होती हैं। उनमें से एक है सफेद मूसली, यह एक प्रकार का पौधा है जिसमें सफेद रंग के छोटे-छोटे फूल लगते हैं। वैसे तो सफेद मूसली के कई फायदे हैं। लेकिन इसका ज्यादातर इस्तेमाल यौन संबंधी रोगों के इलाज में किया जाता है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे कि सफेद मूसली को किन-किन बीमारियों के दौरान प्रयोग में लाया जा सकता है।

मुख्य रूप से सफेद मूसली की मूल (गांठ वाली जड़ों) का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। इसके बीजों का भी प्रयोग होता है। आयुर्वेदिक में मुख्य रूप से बल्य और बाजीकरण के लिए जड़ों का ही व्यवहार प्रचलित है। यह मूसली पाक का मुख्य घटक है जो इसी मकसद के लिए प्रयोग किया जाता है।

(ख) मूसली को गीला करके उसका छिलका उतारना - प्राय: ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ जंगलों से मूसली एकत्रित की जाती है, कच्ची मूसली को जंगल से उखाड़ने के उपरान्त उनका ढेर लगा दिया जाता है तथा उन पर प्रतिदिन पानी का हल्का-हल्का छिड़काव किया जाता है। कुछ समय के उपरान्त यह मूसली या तो स्वयं ही छिलका छोड़ने लगती है या इसे आसानी से मसल कर छिलका निकाल दिया जाता है। यह विधि विशेष रूप से जंगलोंसे उखाड़ी हुई कच्ची मूसली का छिलका उतारने के लिए उपयोगी हो सकती है। परन्तु इस विधि से पूर्णतया पकी हुई मूसली से छिलका उतारने का सुझाव देना शायद उपयुक्त नहीं होगा।

दस्त लगने पर सफ़ेद मूसली की जड़ के चूर्ण २ से ४ ग्राम लें, इसे दूध में मिलाकर पिएं। इसका सेवन करने have a peek at this web-site से दस्त, भूख की कमी, पेचिश में लाभ मिलता है।

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